एक शोध आलेख में सामान्यतः निम्नलिखित कारणों से साहित्यिक चौर्य की संभावना बढ़ती है -
1. एक या अधिक संदर्भित/गैर-संदर्भित स्रोतों से भारी मात्रा में हुबहू सामग्री ले लेना
2. मूल शोधकर्ता/लेखक के विचारों/वक्तव्यों को नियमानुसार उद्धृत न करना
3. शोध प्रविधियों और निष्कर्षों की सुसंगतता का अभाव
यह सुनिश्चित करने के लिए कि मूल और अच्छी गुणवत्ता वाला शोध कार्य प्रकाशित हो,हम प्रस्तुत सामग्री में साहित्यिक चौर्य की जाँच करने के लिए कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं। यह शोध लेखों में उल्लिखित संदर्भों और सामग्री के दोहराव के लिए विभिन्न ऑनलाइन स्रोतों की जांच कर सकता है। 10% से अधिक साहित्यिक चोरी वाले शोध लेख प्रकाशित नहीं किए जाते हैं,और लेखकों को विश्लेषण रिपोर्ट के बारे में सूचित किया जाता है।
सॉफ्टवेयर से जाँच के उपरांत प्रस्तुत शोध पत्र सहकर्मी समीक् (Peer Review) के लिए भेजे जाते हैं। यह अनिवार्य रूप से ध्यान रखा जाता है कि समीक्षकों और शोधकर्ताओं या लेखकों को एक-दूसरे के बारे में कोई जानकारी न हो ताकि समीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित हो।
शोधकर्त्ता/लेखक के साथ-साथ सहकर्मी समीक्षक एवं संपादन समिति से यह अपेक्षा रहती है कि वे प्रकाशन नैतिकता से संबंधित विश्विद्यालय अनुदान आयोग की 2018 की नियमावली में दिए गए अनुदेशों का शतशः अनुपालन करेंगे।
यह संपादकों और समीक्षकों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे यह सत्यापित करें कि शोधकर्ताओं/लेखकों द्वारा प्रकाशन नियमों और दिशानिर्देशों का ठीक से पालन किया जाता है। लेखकों, संपादकों और समीक्षकों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश UGC के इस दस्तावेज़ में पाए जा सकते हैं: https://www.ugc.gov.in/pdfnews/7771545_academic-integrity-Regulation2018.pdf
दोहरी समीक्षा एवं मानक प्रकाशन प्रक्रिया
· हमारे संपादकों में से कोई भी सदस्य सामान्यतः विषयवस्तु के अनुशासन के अनुरूप प्राप्त शोध पत्रों का त्वरित अवलोकन करेगा।
· यदि शोध पत्र प्रथम दृष्टया पर्याप्त गुणवत्ता का नहीं पाया जाता है तो उसे सहकर्मी समीक्षा के बिना ही अस्वीकार किया जा सकता है। इस त्वरित अवलोकन के कारण,लेखकों को त्वरित निर्णय मिल जाता है और उन्हें समीक्षा प्रक्रिया की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
· त्वरित अवलोकन के बाद,शोध पत्र संबंधित विषय और भाषा का ज्ञान रखने वाले समीक्षक को कोडिंग करके भेजा जाता है।
· चयनित समीक्षक विभिन्न मानदंडों पर मूल्यांकन करते हुए शोध पत्र की समीक्षा करते हैं। इस क्रम में निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किये गए हैं और प्रत्येक मानदंड के लिए कुल 10 अंक निर्धारित हैं:
i. शीर्षक और शोध पत्र की प्रासंगिकता
ii. उच्च गुणवत्ता, नवीनता और मौलिकता
iii. लेख में प्रस्तुत विचारों,तथ्यों एवं संरचनाओं में युक्तियुक्तता
iv. शोध सिद्धांतों/प्रविधियों का समुचित उपयोग
v. तकनीकी सामग्री, सारणी, गणना (यदि आवश्यक हो) की त्रुटिहीनता
vi. निष्कर्ष की स्पष्टता
vii. सन्दर्भों का मानकानुसार निदर्शन
नोट:-
यदि समीक्षक को लगता है कि किसी बदलाव की आवश्यकता है तो लेख को सुझावों के साथ संशोधन के लिए लेखकों/शोधकर्ताओं को वापस भेजा जा सकता है। संशोधन शोधकर्ताओं/लेखकों द्वारा निर्दिष्ट अवधि के अंदर किया जाना चाहिए अन्यथा उन्हें शोध को फिर से सबमिट करने की आवश्यकता होगी और इसे एक नया सबमिशन मानकर सारी प्रक्रिया पुनः की जायेगी। यदि समीक्षा का कुल स्कोर 75% से अधिक या उसके बराबर है तो शोध पत्र प्रकाशन के लिए स्वीकार किए जाते हैं और संबंधित को स्वीकृत पत्र प्रेषित कर दिया जाता है।
सहकर्मी समीक्षा प्रक्रिया सकारात्मक रूप से पूरी होने के बाद, संपादकों में से एक अंततः शोध लेख को अंतिम रूप से प्रकाशित करने से पहले, यदि आवश्यक हो,संपादित भी कर सकता है।